देख लैला तेरे मजनू का कलेजा क्या है ? – अनुज शुक्ला

देख लैला तेरे मजनू का कलेजा क्या है ?
खाक में मिल कर भी कहता है , अभी बिगड़ा क्या है ?
देख लैला तेरे मजनू का कलेजा क्या है ।।
मैं तो तेरे मस्त निगाहों की मजे लेता हूँ
वरना साकी तेरे मयखाने में रखा क्या है ?
देख लैला तेरे मजनू का कलेजा क्या है ?
जिनकी जनाज़ों को हसीनों ने दिए हो कांधे
वो तो बारात है बारात, जनाजा क्या है?
देख लैला तेरे मजनू का कलेजा क्या है ?
अपनी तस्वीर लड़कपन की जवानी में न देख
चाँद के सामने, वो चाँद का टुकड़ा क्या है?
देख लैला तेरे मजनू का कलेजा क्या है ?
ये इंसान, तेरे घरवाले, तेरे दोस्त, तेरे अहबाद
तुझको गंगा किनारे जला देगे, समझता क्या है?
देख लैला तेरे मजनू का कलेजा क्या है ?
अपने होठों से मेरे हाथों को छूने दो न यार
एक दो घूंट से बोतल का बिगड़ता क्या है ?
खाक में मिल कर भी कहता है , अभी बिगड़ा क्या है ?
देख लैला तेरे मजनू का कलेजा क्या है ?

अनुज शुक्ला

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