हनुमान जी को दलित कहने पर देश में सियासत शुरू हो गयी है। यूपी के सीएम योगी के बयान को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है।… Read more “हनुमान जी दलित और वंचित हैं”
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English Medium School
अभिभावक चाहे महल का हो या स्लम का, हर एक की पहली पसंद इंग्लिश मीडियम स्कूल हो गयी है। परिणाम आज गली-गली में इंग्लिश मीडियम स्कूल खुल रहे है।… Read more “English Medium School”
अवन्तिका शिक्षक सम्मान समारोह कल 12 बजे
अवन्तिका संस्था द्वारा दिनांक 28 फरवरी 2017 को स्थानीय इंटरनेशनल स्कूल ऑफ इन्फॉर्मैटिक्स एंड मैनेजमेंट टेक्निकल कैम्पस, मानसरोवर पर शहर के चयनित शिक्षाविदों को उनके द्वारा किए… Read more “अवन्तिका शिक्षक सम्मान समारोह कल 12 बजे”
मुक्तक – सुबह जैसे ही आँख खुलती है
सुबह जैसे ही आँख खुलती है मानो एक शिकायत किया करती है भोर होते ही क्यू छोड़ देता है मुझको मेरी तनहाई मुझसे यही सवाल किया करती… Read more “मुक्तक – सुबह जैसे ही आँख खुलती है”
मुक्तक – तेरे चाहने वालों की बहुत आबादी है
तेरे चाहने वालों की बहुत आबादी है पर ‘निल्को’ को कहा लिखने पर पाबंदी है ये टूटे फूटे मन के भावो को पढ़कर भी लोग कहते है… Read more “मुक्तक – तेरे चाहने वालों की बहुत आबादी है”
मुक्तक – नज़र निल्को की मैंने शीर्षक ही रख लिया
दिल मे कोई प्रेम रत्न धन रख लिया उनके लिए लिख , उनका भी मन रख लिया ऐसी नजरों से घूरते है वो मुझको की ‘नज़र निल्को… Read more “मुक्तक – नज़र निल्को की मैंने शीर्षक ही रख लिया”
मुक्तक – चाँद की चादनी मे नहाती रही
चाँद की चादनी मे नहाती रही सारी रात मुझे वो जगाती रही प्यार से ज़रा छु लिया था होठो को उसके और ‘निल्को’ की धुन वो अब… Read more “मुक्तक – चाँद की चादनी मे नहाती रही”
खुले मंच पर देता हूँ चुनौती
हमारे मेसेज को पढ़कर के ग्रुप में आया एक तूफान कुछ लोगो के दिल मेंउठ गई एक उफानपलटकर दिया उन्होंने जवाबजैसे हड्डी बीच कवाबखुले मंच पर देता… Read more “खुले मंच पर देता हूँ चुनौती”
दशहरा : क्या रावण सचमुच मे मर गया ?
दशहरे पर कल पूरे देश में अच्छाई पर बुराई की विजय के रूप में भगवान राम की पूजा होगी, दशहरा यानी विजय पर्व। दशहरा यानी न्याय और… Read more “दशहरा : क्या रावण सचमुच मे मर गया ?”
अपने लिए भी जियें…..!
ज़िंदगी के 20 वर्ष हवा की तरह उड़ जाते हैं.! फिर शुरू होती है नौकरी की खोज.!ये नहीं वो, दूर नहीं पास.ऐसा करते 2-3 नौकरीयां छोड़ते पकड़ते,अंत… Read more “अपने लिए भी जियें…..!”
नज़र निल्को की – तेरी नज़दीक वाली दूरिया
तेरी नज़दीक वाली दूरिया लगती है जैसे गोलिया तेरी हर अदा कुछ ख़ास नहीं पर सहती है हर एक बोलिया उसका बनना और सवरना जैसे हो पानी… Read more “नज़र निल्को की – तेरी नज़दीक वाली दूरिया”
गीत ग़ज़ल हो या हो कविता – एम के पाण्डेय निल्को
गीत ग़ज़ल हो या हो कविता नज़र है उस पर चोरो की सेंध लगाये बैठे तैयार कॉपी पेस्ट को मन बेक़रार लिखे कोई और, पढ़े कोई और … Read more “गीत ग़ज़ल हो या हो कविता – एम के पाण्डेय निल्को”
चेहरे की वो बात – एम के पाण्डेय ‘निल्को’
चेहरे की वो बात अधूरी रह गई थी रात किनारे बैठे थे वे साथ डाले एक दूसरे मे हाथ कह रहे थे सुन रहे थे एक दूसरे… Read more “चेहरे की वो बात – एम के पाण्डेय ‘निल्को’”
एम के पाण्डेय ‘निल्को’ की कविता – वो दूरिया बढ़ाते गए
वो दूरिया बढ़ाते गए और कुछ लोग यह देख कर मुस्कुराते गए इस ज़िंदगी के कशमकश में शायद ‘निल्को’ को वो भुलाते गए जब याद दिन वो… Read more “एम के पाण्डेय ‘निल्को’ की कविता – वो दूरिया बढ़ाते गए”
अपना परिचय ठीक से नहीं करा पाता
एम के पाण्डेय ‘निल्को’ कुछ मेरे मित्र मेरे परिचय के बारे में ज्रिक कर रहे थे , उनकी शिकायत थी की कभी मैंने अपना परिचय ठीक से… Read more “अपना परिचय ठीक से नहीं करा पाता”
कान्हा ओं कान्हा – एम के पाण्डेय ‘निल्को’
आदरणीय मित्रो ;नमस्कार;मेरी पहली भक्ति रचना “कान्हा ओं कान्हा” आप सभी को सौंप रहा हूँ । मुझे उम्मीद है कि मेरी ये छोटी सी कोशिश आप सभी को जरुर पसंद आएँगी, रचना… Read more “कान्हा ओं कान्हा – एम के पाण्डेय ‘निल्को’”
मैं कवि नहीं हूँ
जब भी मैं कोई कविता पढ़ता हूँ मेरे मन में ख्याल आता है इतनी अच्छी रचना मेरे द्वारा क्यो नहीं …? ‘निल्को ‘की नज़र के सामने किताबों… Read more “मैं कवि नहीं हूँ”
मैं अपनी पहचान कैसे छोड़ दूं!
तेरी गलिया भी करती है यही पुकार मुझे छोड़ , कहाँ चले गए यार जब तू आया था पहली बार सब लोगो से पता पूछा बार बार… Read more “मैं अपनी पहचान कैसे छोड़ दूं!”