बरसों बाद मिले तुम हमको आओ जरा विचारें,
आज क्या है कि देख कौम को ग़म है। कौम-कौम का शोर मचा है, किन्तु कहो असल में कौन मर्द है जिसे कौम की सच्ची लगी लगन है? भूखे, अपढ़, नग्न बच्चे क्या नहीं तुम्हारे घर में? कहता धनी कुबेर किन्तु क्या आती तुम्हें शरम है? आग लगे उस धन में जो दुखियों के काम न आए, लाख लानत जिनका, फटता नहीं मरम है। दुह-दुह कर जाती गाय की निजतन धन तुम पा लो |