थोरी देर खड़े हुए थे *छाँव* में । आ गऐ है सभ की हम *निगाहों* में। एक बार उसने गले लगाया था, सारा जहाँ सिमट गया था… Read more “सलीका – शायर भट्टी”
Author: vmwteam
भूचाल आ जाए
हर एक दिल में काश ख्याल आ जाये रंजिशें मिटाने को भूचाल आ जाये , हर बशर में नूर उस का फिर क्यों झगड़े हर जुबां पे… Read more “भूचाल आ जाए”
मुक्तक – दिनेश अवस्थी फर्रुखाबाद।
जीवन है एक संग्राम पीछे पग न धारिये। बढ़ते रहो अविराम अपना मन न मारिये। हर पल विजय की आशा और विश्वास को लिए, भजिए हरी का… Read more “मुक्तक – दिनेश अवस्थी फर्रुखाबाद।”
पूनम मावस से समझौता करने वाली है।
चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के रिश्तेदारों सुन लो तुम, इक दिन पूनम मावस से समझौता करने वाली है। कुछ तारे तो इधर बंटे हैं कुछ तारे हैं बंटे… Read more “पूनम मावस से समझौता करने वाली है।”
नींद नहीं आती
हयात में जब मुश्किल तमाम आती है मां की दुआ ही मुश्किल से बचाती है , उस रिज्क में कभी बरकत नहीं होती जो रिज्क घर में… Read more “नींद नहीं आती”
गिरती नैतिकता संवरे कब
ओ दिव्य अलौकिक मनुज समाज सुनो अपनी अंर्तमन की आवाज। घूम रहे कुटिल विचार के पंख जब गिरती नैतिकता संवरे कब।। ओ पाश्चात्य संस्कृति में झूल रहा… Read more “गिरती नैतिकता संवरे कब”
राम राज्य के सपने टूटे
त्याग तपस्या की भूमि पर पाप बीज के अंकुर फूटे बहुत संजोया बहुत सम्हाला राम राज्य के सपने टूटे । आजादी का मूर्त रुप सपनों मे नित… Read more “राम राज्य के सपने टूटे”
हाँ कविता बोलती है
हाँ कविता बोलती है, हाँ कविता बोलती है, मन की सारी वेदनाएं और खुशियां खोलती है। हाँ कविता बोलती है, हाँ कविता बोलती है एक यौवन हो… Read more “हाँ कविता बोलती है”
डॉ प्रियंका रेड्डी – कब तक सत्ता मौन रहेगी
कब तक सत्ता मौन रहेगी, कब तक प्रसासन के हाथ बंधे रहेंगे क्या बलात्कार करके आरोपी जेल में सिर्फ मुँह छिपाने जाएंगे अब तो थोड़ी शर्म करे… Read more “डॉ प्रियंका रेड्डी – कब तक सत्ता मौन रहेगी”
वो नजदीक मेरे आने लगे हैं
दूरियां इस कदर मिटाने लगे हैं वो नजदीक मेरे आने लगे हैं बन्द आँखों से भी नजर आते हैं इस कदर दिल मे समाने लगे हैं रूठ… Read more “वो नजदीक मेरे आने लगे हैं”
हिन्दी कविता-आबरू लूटने लगे
अब सरे राह नारी नर भक्षी घूमने लगे | अकेली अबला आबरू निर्भय लूटने लगे | सुना था जंगलो मे जानवर हिंसक रहते है | लूट आबरूअबला… Read more “हिन्दी कविता-आबरू लूटने लगे”
पूछते हो कि मैं खुश हूँ
दिनोंदिन दल बदलते हो पूछते हो कि मैं खुश हूँ, पासा पल में पलटते हो पूछते हो कि मैं खुश हूँ ! अनुशासन या डर कहो है… Read more “पूछते हो कि मैं खुश हूँ”
आदमी इंसान बन जाए
बक्श तौफीक सब को खुदा आदमी इन्सान बन जाये मोहब्बत लगा ले गले नफरत से अन्जान बन जाये , इल्तजा भी बस इतनी आदमी को इन्सान बनाने… Read more “आदमी इंसान बन जाए”
महाराष्ट्र का नाटक
चाहत में कुर्सी की देखो नीति नियम सब ध्वस्त हुए । संस्कार सद्भाव समर्पण मानो रवि सम अस्त हुए॥ नवाचार दिखता है यहां अब केवल भ्रष्टाचारी का।… Read more “महाराष्ट्र का नाटक”
महाराष्ट्र का नाटक
चाहत में कुर्सी की देखो नीति नियम सब ध्वस्त हुए । संस्कार सद्भाव समर्पण मानो रवि सम अस्त हुए॥ नवाचार दिखता है यहां अब केवल भ्रष्टाचारी का।… Read more “महाराष्ट्र का नाटक”
औरत के गीले बाल और लोकतंत्र
पॉलिटिकल साइंस के सेमिनार में एक विद्यार्थी का बयान था कि मेरा तो यक़ीन लोकतंत्र पर से सन 1996 में ही उठ गया था.. कहने लगा कि… Read more “औरत के गीले बाल और लोकतंत्र”
परिवर्तन को आने दो
धीरे धीरे मुख्य द्वार से परिवर्तन को आने दो जो संदेशा ले आया है निज स्वर उसे सुनाने दो । केवल शुभ सुनने की मंसा लेकर सदा… Read more “परिवर्तन को आने दो”
माँ के नाम
मुश्किलों से घिरी जब मुझे मेरी जाँ दिखी। मैंनें आँखें बन्द की सामने खड़ी माँ दिखी।। संघर्षों के बादलों ने जब गर्जना शुरू किया मैंने सराय माँगी… Read more “माँ के नाम”