सुना है तुम्हारे चाहने वाले बहुत हैं
ये मोहब्बत की मिठाई सब में बांट देती हो क्या
कई गिर चुके हैं तुम्हारे इश्क के मंजर में
अंखियों से गोली मार देती हो क्या
पुरानी बातों को इस लॉक डाउन में फिर से सजाना है
आज हमारे पास बस यादों का खजाना है
कभी लिखा था तुम्हारें जुल्फों पर शेर
पर आज पूरी गजल तुम पर बनाना है
पर ग़ज़ल लिखे तो लिखे कैसे
मुझे नहीं पता तुम हो कैसे
मैं हूं यहां निभा रहा हूं जिम्मेदारियां
पूरे देश में जमातियों को मैंने ही बुलाया हो जैसे
ये महामारी है इसका सामना करो
घर बैठो और मेरी यादों को ताजा करो
सोचो कब मिले थे हम दोनों
एक बार फिर से बातों को साझा करो
– एम के पाण्डेय निल्को
bahut mast bhai jan ……………apka kamal ke ho
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