पहले उसे छला गया । फिर वो वन चला गया ।।
एक वचन की लाज रखने । भाई के सर ताज रखने।।
माँ की ममता छोड़ कर । सारे बंधन तोड़ कर।।
राम पर लिखना कठिन है ।।
न थी लालसा वैभव की । न थी सत्ता की पिपासा ।। रखा ठोकर पर सिंहासन । और दी
पिता को दिलासा ।।
जानते थे वे प्रभु है । और वैभव सारे लघु है।।
सोचो तुम तनिक ये । अवतार लेकर मानव में ।।
आम रहना कितना कठिन है । राम पर लिखना कठिन है ।।
सूखा सकते थे वे सागर। फिर भी उन्होंने हाथ जोड़े।।
जीत लेते लंका को । फिर भी वानर साथ जोड़े।।
राम हो जब दुख ही देखो । सोच कर तुम ख़ुद ही देखो।।
पास हो जब सारी शक्ति। और जिसकी होती हो भक्ति।।
काम करना कितना कठिन है। राम पर लिखना कठिन है ।।
राम पर लिखना कठिन है ।।
Anshu Pathak
बिलकुल सच कहा।
LikeLike