किसी का जन्मदिवस मनाते समय, विशेषकर बच्चों का, यह प्रयास करना चाहिए कि मोमबत्ती की जगह मिट्टी के दीपक रखे जाएं और वो दीपक फूँक मार के बुझाया न जाये बल्कि बच्चे से ही उस दीपक को जलाने के लिए कहा जाए। कार्यक्रम पूरा होने पर दीपक में तेल/घी डालकर पूजा के कमरे/स्थान पर रखें और स्वाभाविक रूप से वो तेल/घी खत्म होने के बाद बुझ जाएगा। ऐसा नही की मेरा विचार वर्तमान आयोजनों के विरुद्ध है। यदि केक काट कर खाना है तो जरूर खाइए क्योंकि केक की जगह मिठाई या रसगुल्ला भी बिना काटे या तोड़े खाना संभव नही, परन्तु अपने बच्चे या कुटुंब के किसी सदस्य के नाम पर तुरंत जलाए हुए दीपक को उसी से फूंक मारकर बुझवा देना, धर्म तो छोड़िए विज्ञान या समाज की दृष्टि से भी अव्यवहारिक लगता है। एक बार इसी विमर्श पर किसी मित्र ने कहा कि यदि आप 20 मोमबत्ती बुझाते हैं तो उसका अर्थ ये है कि आप की आयु से 20 वर्ष कम हो गये या बुझ गए। यह एक कांसेप्ट जरूर हो सकता है परंतु मेरा मानना है कि 20 दीपक जला के यह भी कहा जा सकता है कि मैंने अपने जीवन के 20 साल आस-पास,समाज, परिवेश और देश को अपने स्तर से अपने हिस्से का उजाला देने का प्रयास किया है।
व्यक्तिगत विचार है जरूरी नही की हर कोई सहमत हो परंतु यदि अच्छा लगे तो इसे जरूर अपनाने का प्रयास करें।
आशुतोष की कलम से