सरल धुनों पर तानों की है
भजनों,गीतों, गानों की है
रे मन! तू दीवाना बन जा
यह दुनिया दीवानों की है
बालकपन में हर बालक का
मनोभाव सच्चा लगता है
द्वेष- झूठ से बचे रहो तो
युवाकाल बच्चा लगता है
सस्ती मस्ती बहुत बुरी है
पर अच्छी मस्तानों की है
रे मन! तू दीवाना बन जा
यह दुनिया दीवानों की है
घर में रहें घरेलू बनकर
बाहर सबकुछ अनजाना है
रिश्तों का बंधन पूरा है
चाहे कम आना जाना है
अपनों में घुस गए पराये
भीड़ बढ़ी बेगानों की है
रे मन! तू दीवाना बन जा
यह दुनिया दीवानों की है
अपना अपना पात्र निभाने
हर कोई जग में आता है
उसमें ही खुश रहना होगा
जैसा, जहाँ मिला खाता है
चार दिनों की सबकी रौनक
खातिर सी मेहमानों की है
रे मन! तू दीवाना बन जा
यह दुनिया दीवानों की है
यहाँ बहुत चर्चे हैं उनके
जो परचों में छप जाते हैं
लेकिन बढ़ जाते हैं खर्चे
कभी-कभी जब नप जाते हैं
कहीं चित्त भी पट्ट उन्हीं की
गिरते चारों खानों की है
रे मन! तू दीवाना बन जा
यह दुनिया दीवानों की है
एकमात्र संदेश प्रेम का
द्वेष जगत आधार नहीं है
जो तुमने कुछ दिया न इसको
लेने का अधिकार नहीं है
सुन्दर पुष्पों की बगिया को
मत कह तीर कमानों की है
रे मन! तू दीवाना बन जा
यह दुनिया दीवानों की है
अमर अद्वितीय