की मैं अब तेरी सोच से बहुत दुर निकल चुँका हूँ
की तू बदला था जिस तरह मैं भी बदल चुँका हूँ
की तू अब मुझे शिकस्त देने मत सोच मेरे दोस्त
मैंने दुनिया पढ ली है मै भी दुनिया मै ढल चुँका हूँ
की अब तो दिल को पत्थर कर लिया है मैने
पिघलना था जितना यार पहले पिघल चुँका हूँ
अब तो मेरे कदम का रूकना मुमकिन नही है
मंजिल की तरफ मै तो कब का चल चुकाँ हूँ
की अब तू भी मजा ले जलने का इतंजार मे मेरे
तेरे इंतजार मे,मै तो मुद्तो जल चुँका हूँ
झूठी तसल्ली न दे प्रकाश दिल को तू अपने
याद उसे ही करता है रोज कहता बदल चुँका हूँ
शायर प्रकाश नागपुरी