धीरे धीरे मुख्य द्वार से
परिवर्तन को आने दो
जो संदेशा ले आया है
निज स्वर उसे सुनाने दो ।
केवल शुभ सुनने की मंसा
लेकर सदा चले आते हो
व्यर्थ ज्ञान की लिए पुस्तिका
जब जी चाहे समझाते हो
कब तक सच से मुख मोड़ोगे
कितना रार बढ़ाओगे
वह दिन जाने कब आए
जब निज मन को समझाओगे
खोलो मन की बंद किवड़िया
कुछ शुद्ध हवा तो आने दो
धीरे – धीरे मुख्य द्वार से
परिवर्तन को आने दो ।
स्वीकारो उन्मुक्त हृदय से
प्रगति पथिक बढ़ते जाओ
संशय शंका जहां जहां हो
निज मन दीप जलाओ
पाप श्राप से मुक्त रहे तन
कटे जनम भव बंधन
जग की रीत नीत निभ जाए
बन भागी अभिनंदन
धारण हो संदेश ईश का
धर्म ध्वजा लहराने दो
धीरे – धीरे मुख्य द्वार से
परिवर्तन को आने दो ।
विजय कल्याणी तिवारी
बिलासपुर छग
परिवर्तन को आने दो……विषय भी अच्छा है और पंक्तियां भी
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