सारे कौरव हुए इकट्ठे, नीचों का गठबंधन है
सूपनखा की नाक कटी है, चोरों के घर कृन्दन है
पड़ी है पीछे सीबीआई जगह कहाँ अब जाने को
मिल कर एक हुए हैं गीदड़ अपनी लाज बचाने को
मफलर वाला गिरगिट आया अपनी शान दिखायेगा
टोंटी चोर बुआ को लाया वो भी गाल बजायेगा
संविधान की रक्षा करने आया है एक नौवीं फेल
जिसके अब्बा खाकर चारा भुगत रहे वर्षों से जेल
राफेल वाला पप्पू आया, दिखा रहा है अपना जोश
खुद बेचारा बेल पे बाहर कोई दिलाये इसको होश
वो अब्दुल्ला जिसका जीवन गीत पाक के गाते गुजरा
उसको भी अब ये लगता है देश पे सच में आया खतरा
कई और छुटभैये नेता जिनकी कहीं नहीं है पूछ
चोरों के संग सीना ताने ऐंठ रहे है अपनी मूछ
कहे समीक्षा राष्ट्र विरोधी ख्वाबों की ताबीर नहीं
बंगाल हमारा सूपनखा के अब्बा की जागीर नहीं
एक साथ हैं गिद्ध और गीदड़,कुत्ते,और बिलाब सभी
एक शेर को घेरेंगे क्या नीच निक्कमे घाघ कभी
संविधान खतरे में होता जब भी इनकी पोल खुले
सच तो ये है डर है इनको कहीं न इनके झोल खुले
सीधी सच्ची बात है कि ये तभी तो मिलकर खायेंगे
जब ये चोर उचक्के मिलकर खुद सरकार बनायेंगे
देख रहे सब भारतवासी इन सब झूठे मक्कारों को
उन्निस में सबक सिखाएंगे इन लोकतंत्र हत्यारों को
समीक्षा सिंह जादौन
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (05-02-2019) को \”अढ़सठ बसन्त\” (चर्चा अंक-3238) पर भी होगी।–चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।–हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर…!डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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क्या बात …ग़ज़ब के अल्फ़ाज़ … सच है हर छन्द …
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आपका बहुत बहुत आभार
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