माँ जब मैं कहता था
या जब कुछ रटता था
सबसे पहले याद भी हुई तुम
सबसे जल्दी भूल भी गई तुम
इसमें तेरे संस्कार की नहीं कमी
सोचने पर होते आँखे भी नमी
माँ आज तेरे बिना कुछ भी नहीं
जो कहता था तूँ ही सब सही
एक बार मुझे लगे तो लगा ले
या मुझे अपने पास ही बुला ले
सादर वंदे
एम के पाण्डेय निल्को
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